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शहर के गणमान्य लोग रहे मौजूद : आचार्य श्री की तपोस्थली में दी भावभीनी विनयांजलि


आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की तपस्थली श्री दिगंबर जैन सिद्धक्षेत्र नैनागिरि रेशंदीगिरि में आयोजित विनयांजलि सभा में आचार्यश्री को विनयांजलि प्रस्तुत करते समय हर आंख नम हो गई , श्रद्धालु भावविभोर हो गए । इस सभा में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति , जिला न्यायाधीश, आइएएस, आइपीएस व प्रदेश सरकार के प्रशासनिक अधिकारी, अभियंता सहित विभिन्न विभागों के शताधिक अधिकारियों सहित जैन तीर्थ नैनागिरि समिति के पदाधिकारी व सदस्यों ने अपनी भावभीनी विनयांजलि समर्पित की। पढ़िए रत्नेश जैन रागी की रिपोर्ट…


बकस्वाहा। राष्ट्रसंत ,संतशिरोमणि पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की तपस्थली श्री दिगंबर जैन सिद्धक्षेत्र नैनागिरि रेशंदीगिरि में आयोजित विनयांजलि सभा में आचार्यश्री को विनयांजलि प्रस्तुत करते समय हर आंख नम हो गई , श्रद्धालु भावविभोर हो गए । इस सभा में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति , जिला न्यायाधीश, आइएएस, आइपीएस व प्रदेश सरकार के प्रशासनिक अधिकारी, अभियंता सहित विभिन्न विभागों के शताधिक अधिकारियों सहित जैन तीर्थ नैनागिरि समिति के पदाधिकारी व सदस्यों ने अपनी भावभीनी विनयांजलि समर्पित की तथा आचार्यश्री के चित्र के समक्ष ज्ञान ज्योति दीप प्रज्वलित कर सामूहिक पाठ किया।

नैनागिरि से था लगाव

इस अवसर पर प्रातःकाल पारसनाथ विधान सहित विविध धार्मिक कार्यक्रम किए गए। दोपहर में पूज्य गणाचार्य श्री विराग सागर जी महाराज की परम शिष्या श्रमणी आर्यिका श्री विरम्याश्री माताजी तथा विसंयोजनाश्री माताजी ससंघ के सान्निध्य में आयोजित विनयांजलि सभा में माताजी द्वय के साथ ही न्यायमूर्ति विमला जैन, सुरेश जैन आइएएस (अध्यक्ष नैनागिरि ट्रस्ट कमेटी) आर के दिवाकर आइपीएस (सेवानिवृत्त) भोपाल , सारिका जैन मणी जैन आइएएस, विनोद कुमार डीएफओ , इंद्रजीत, अमिताभ मनया, नवनीत गोधा, विजय कुमार जैन बीएचईएल भोपाल, निधि जैन निदेशक सीएजी कार्यालय मुंबई तथा जैन तीर्थ नैनागिरि की ट्रस्ट कमेटी के मंत्री राजेश जैन रागी तथा पं. अशोक जैन बम्हौरी, प्राचार्य सुमतिप्रकाश आदि ने सशक्त आत्मबोध और लोकबोध के धनी आचार्यश्री के अवदान को अपनी भावनाओं के साथ स्मरण करते हुए अभिव्यक्त किया। ट्रस्ट कमेटी के अध्यक्ष व मंत्री ने आचार्यश्री का नैनागिरि तीर्थ से लगाव और वर्ष 1977 से 1987 के मध्य आध्यात्मिक समृद्धि, तप साधना के करीब सात सौ दिनों से अधिक अमृतकाल के विविध अवदानों, दुर्लभ संस्मरण को बताया।

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