जीवन की आवश्यकताएं कर्म का कारण हैं। इन आवश्यकताओं के कारण ही अच्छे और बुरे कर्मों का बंधन होता है। रोटी, कपड़ा और मकान की चिंता ही हमें अच्छे और बुरे कर्मों की ओर प्रवृत करती हैं। इन्हीं के कारण राग...
ग्रन्थमाला
यह तुमने अच्छा किया। यह तुमने गलत किया। तुम्हें अपनी गलती को स्वीकार करना चाहिए। यह बात बताने वाला ही सच्चा मित्र होता है, क्योंकि वह तुम्हें जीवन की सच्चाई से...
काल का प्रभाव कहें या सृष्टि में पाप कर्मों की बढ़ती मात्रा। संसार में चारों ओर अधर्म एवं अनुशासनहीनता बढ़ रही है। धर्म के मूल रूप त्याग, साधना, तप के स्थान पर...
आधुनिक सुख-सुविधाओं और विकास की अंधी दौड़ में आज व्यक्ति के दैनिक जीवन और वातावरण में बड़ा बदलाव आ गया है। मनुष्य आध्यात्मिक और धार्मिक क्रियाओं से दूर होता जा...
पर आप पढ़िए प्रत्येक गुरुवार सुख और दुःख जीवन का हिस्सा हैं। न तो सुख स्थाई है और ना दुःख स्थाई है, लेकिन प्रतिकूल स्थितियों में भी आनंद खोजना, दुःख को...