चैतन्य नीति

चौघड़िया और उनसे जुड़ी खास बातें, जानें किस चौघड़िया में क्या करें काम

किसी भी कार्य को करने के पहले शुभ लग्न और मुहूर्त को देखा जाता है। इसके अंतर्गत वार, तिथि, माह, वर्ष लग्न, योग, नक्षत्र को देखा जाता है। इस क्रम में किसी भी वार को कौन सा समय शुभ है यह देखा जाता है। चौघड़िया समय का वह हिस्सा है जो शुक्ष या अशुभ हो सकता है। पंचांग के माध्यम से समय एवं काल की सटीक गणना की जाती है। पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है।

चौघड़िया –
जिस तरह वर्ष के दो हिस्से है उत्तरायण और दक्षिणायन, माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। उसी तरह किसी वार या दिवस के दो हिस्से हैं दिन व रात। इसमें भी सूर्योदय और सूर्यास्त के मध्य को दिन का चौघड़िया कहा जाता है व सूर्यास्त और अगले दिन सूर्योदय के मध्य के समय को रात्रि का चौघड़िया कहते है। प्रत्येक दिन का हर पहर एक ग्रह की गति से जुड़ा होता है जो उसके अनुसार शुभ व अशुभ बनाता है। हर दिन की कुछ अच्छी समयावधि और बुरी समय अवधि होती है। जो कि शुभ या अशुभ चरण चौघड़िया तालिका के साथ निर्धारित होते है।
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में सूर्योदय से सूर्यास्त व सूर्यास्त से सूर्योदय के बीच के समय को 30-30 घटी में बांटा है। चौघड़िया मुहूर्त के लिए उसी 30 घटी की समय अवधि को 8 भागों में विभाजित किया है। जिसके परिणामस्वरूप दिन और रात के दौरान 8-8 चौघड़िया मुहूर्त होते है। एक घटी लगभग 24 मिनट की होती है। एक चौघड़िया 4 घटी (लगभग 96 मिनट) का होता है। प्रत्येक चौघड़िया मुहूर्त लगभग 4 घटी का होता है, इसलिए इसे चौघड़िया = चौ (चार) + घड़िया (घटी) के नाम से जाना जाता है। इसे चतुर्श्तिका मुहूर्त कहते है।

चौघड़िया के नाम – अमृत, रोग, लाभ, शुभ, चर, काल उद्वेग।

वार से जुड़ा है चौघड़िया मुहूर्त –
चौघड़िया मुहूर्त वार और ग्रह से जुड़ा है और प्रत्येक चौघड़िया वार से। जैसे रविवार का सूर्य ग्रह है जिसका चौघड़िया उद्वेग से प्रारंभ होता है। इस तरह सोमवार का चन्द्रमा अमृत से, मंगलवार का मंगल रोग से, बुधवार का बुध लाभ से, गुरुवार को गुरु शुभ से, शुक्रवार का शुक्र से, शनिवार का शनि काल से प्रारंभ होता है। अर्थात जिस दिन जो वार होता है उस दिन का प्रारंभ उक्त चौघड़िया होता है।

जाने कौन सा चौघड़िया शुभ है –
किसी शुभ कार्य को प्रारंभ करने के लिए अमृत, शुभ, लाभ और चर, ये चार चौघड़ियाओं को उत्तम माना गया है व रोग, काल और उद्वेग तीन चौघड़ियाओं श्रेष्ठ नहीं माना गया है। चौघड़िया मुहूर्त का चयन करते समय, वार वेला, काल वेला, राहु काल और काल रात्रि के समय को छोड़ दिया जाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस समय कोई भी मंगल कार्य करना फलदायी नहीं होता है। वार वेला और काल वेला दिन के दौरान प्रचलित है जबकि रात के दौरान काल रात्री प्रचलित है।

उद्वेग चौघड़िया –
ज्योतिष में सूर्य के प्रभाव को आमतौर पर अशोक माना गया है, इसलिए इसे उद्योग के रूप में चिन्हित किया जाता है। हालांकि इस चौघड़िया में सरकारी कार्यों को किया जाता है।

चर चौघड़िया –
शुक्र को एक शुभ और लाभकारी ग्रह माना जाता है इसलिए इसे चर्या चंचल रूप में चिन्हित किया गया है। शुक्र के चार प्रकृति के कारण चर्चा बढ़िया को यात्रा उद्देश्य के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।

लाभ चौघड़िया –
बुध ग्रह भी शुभ और लाभदायक है इसलिए इसे लाभ के रूप में चिन्हित किया गया है। लाभ के चौघड़िया में शिक्षा या किसी विद्या को सीखने का कार्य प्रारंभ किया जाता है तो वह फलदायी होता है।

अमृत चौघड़िया –
चंद्र ग्रह अति शुभ और लाभकारी ग्रह है इसलिए इसे अमृत के रूप में चिन्हित किया गया है। अमृत चौघड़िया को सभी प्रकार के कार्यों के लिए अच्छा माना जाता है।

काल चौघड़िया –
शनि एक पापी ग्रह माना गया है इसलिए इसे काल के रूप में चिन्हित किया गया है। काल चौघड़िया के दौरान कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। हालांकि, कुछ मामलों में धनोपार्जन हेतु की जाने वाली गतिविधियों के लिए यह लाभदायक सिद्ध हो सकता है।

शुभ चौघड़िया –
बृहस्पति अत्यंत ही शुभ ग्रह है और यह लाभकारी ग्रह माना गया है। इसलिए इसे शुभ के रूप में चिन्हित किया जाता है। शुभ चौघड़िया को विशेष रूप से विवाह समारोह आयोजित करने के लिए उपयुक्त माना जाता है।

रोग चौघड़िया –
मंगल एक क्रूर और अनिष्टकारी ग्रह है इसलिए इसे रोग के रूप में चिन्हित किया गया है। रोग चौघड़िया के दौरान कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। लेकिन युद्ध में शत्रु को हराने के लिए रोग चौघड़िया की अनुशंसा की जाती है।

  1. यह भी जाने –
  • कोई लोहे या तेल से संबंधित व्यापार शुरू कर रहा हो तो उसके लिए शनि के प्रभाव वाला काल का चौघड़िया उत्तम फलदाई सिद्ध हो सकता है। उसी तरह किसी व्यक्ति को पूर्व दिशा में यात्रा करनी है और वह अमृत के चौघड़िए में यात्रा प्रारंभ करता है तो वह उसके लिए नुकसानदायक सिद्ध हो सकती है। इसका कारण है अमृत चौघड़िया का स्वामी चंद्र है और चंद्र पूर्व दिशा में दिशाशूल का कारक है। जो परेशानी और बाधाएं उत्पन्न करता हैं। जिस चौघड़िए का स्वामी जिस दिशा में दिशाशूल का कारक हो उस दिशा में यात्रा करना वर्जित माना गया है।
    इसके साथ ही कुछ बातों को छोड़ दें तो सामान्य रूप से चौघड़िया मुहूर्त उत्तम और अभिजीत फलदायी भी हो सकते हैं।
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  • Blueberry pie is something that I would like to eat on every-day basic. I’ve been having a blueberry moment and it’s not over yet. Blueberry Pancakes and Blueberry Jam, sure. Blueberry Syrup, Blueberry Ice Cream and Blueberry-Buttermilk, Blueberry Pie and many more.

    And yeah I have a quick word on the sugar – start with the lesser amount and taste. Now that blueberries are truly in season, you might not want completely full amount.

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