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श्रावकों को कोरोना के प्रति जागरूक करने का अभियान: जैन जीवन शैली अपनाएं, दूर करें कोरोना का डर

*सारांश*

हमारा पड़ौसी देश चीन एक बार फिर कोरोना की गिरफ्त में हैं । चीन में लोगों की भोजन प्रवृत्तियां कैसी हैं हम जानते हैं ।

जीवित जंतुओं तक को खाने की आसुरीय प्रवृत्तियां वहां बढ़ी हैं । कोरोना चमगादड़ के मनुष्य के शरीर में आया वायरस है जो मानव जीवन को संक्रमित कर रहा है ।

सवाल ये है कि ईश्वर ने हमें शाकाहार के रूप में पर्याप्त भोजन दिया है ।

ऐसे में, जीव हत्या कर मांसाहार का भोजन करने की प्रवृत्तियां बढ़ेंगे तो कोरोना ही नहीं, ऐसी कई बीमारियां मनुष्यों को प्रभावित करेंगे ।

संक्रमित भोजन चाहे वो शाकाहार हो या मांसाहार, मनुष्य शरीर को प्रभावित करेगा । सुबह का भोजन शाम को और शाम का भोजन रात को करेंगे तो शरीर में रोग आएंगे ही ।

इसके अतिरिक्त पानी को छान और गर्म कर पीने से रोग नष्ट होते है ।

इन व्रतों की पालना करें और कोरोना को दूर भगाएं
सामायिक में आत्म चिंतन किया जाता है और उसी आत्म चिंतन से रोगों से लड़ने से शक्ति मिलती है सामायिक दिन में तीन बार करने का प्रावधान है कम से कम 2 बार तो करना श्रावक के लिए आवश्यक बताया है ।

रात्रि भोजन का त्याग हमारे यहां पर बताया है क्योंकि रात में खाने से या रात में बने भोजन में अनेक जीवों के पड़ने की संभावना होती है जो हमें अंधेरे में दिखाई नहीं देते हैं और बहुत सारे जीव लाइट के प्रकाश में उत्पन्न होते हैं इसे रात्रि भोजन त्याग से भी हम अनजान बीमारियों से बच सकते हैं ।

तीर्थंकरों ने बताई है खान-पान की मर्यादा

  • तीर्थंकरों  अलग अलग ऋतुओं में आटा,मसाला,आदि लेकर सभी खाद्य साम्रगी की मर्यादा बताई की मर्यादा समाप्त होने जाने के बाद उस खाद्य प्रदार्थ में जीवों पैदा हो जाते हैं ।
  • यह जीव दिखाई नहीं देते, पर वह उस खाद्य पदार्थ की शक्ति और शरीर के अंदर के कीटाणु से लडने के शक्ति समाप्त हो जाती है ।
  • वह खाद्य पदार्थ ज़हर का काम करते है । अनेक रिसर्चो में भी कहा की बाजार के खाद्य पदार्थो की मर्यादा बढाने के लिए कही प्रकार के केमिकल का उपयोग किया जाता है ।
  • आज कोरोना को लेकर वैज्ञानिकों में कहा है कि जिनका खान पान व्यवस्थित है उन्हें कोरोना वायरस के कीटाणु नुकसान नहीं पहुंच सकते हैं ।
  • जैन धर्म में पानी की मर्यादा कहा है कि पानी छानने के बाद 48 मिनट तक पीने योग्य होता है । उसी पानी कम गर्म करने पर 6 घंटे और अधिक गर्म करने पर 24 घंटे की मर्यादा का वर्णन किया है ।
  • वैज्ञानिकों ने का भी है कि बिना छानने पानी की एक बूंद में 36450 जीव होते हैं ।

    कोरोना महामारी ने हमें हाथ,पैर धोने के साथ कपड़े पहने से लगाकर खान-पान करना सीखा दिया है । यह सब डर से ही सीखे और पालन कर रहे हैं ।

  • धर्म कहता है कोई बात नहीं, डर से सीखें और पालन करों । यह तीर्थंकर का उपदेश है इस भावना से जीवन में श्रद्धा और आस्था से ग्रहण करना ।
  • जिससे निरोगी काया के साथ पुण्य का संचय भी होगा ।
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