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चातुर्मास के लिए भेंट किया श्रीफल : युगल मुनिराज के सानिध्य में ध्वजारोहण कार्यक्रम सम्पन्न 


युगल मुनिराज श्री अपूर्व सागर जी, मुनि श्री अर्पित सागर जी महाराज ससंघ सान्निध्य में त्रिमूर्ति पंचतीर्थ अभिनंदन साधना केंद्र पर मंगलवार को प्रातः गुरु को अर्घ्य समर्पण के साथ समारोह स्थल पर आमंत्रण, समारोह पूर्व ध्वजारोहण विधि एवं ध्वजारोहण किया गया। त्रिमूर्ति भगवान वासुपूज्य जी, चंद्रप्रभ जी और शांतिनाथ जी का चरणाभिषेक एवं शांतिधारा, गुरु पाद प्रक्षालन, जिनवाणी भेंट और मुनि श्री अपूर्व सागर जी महाराज का मंगल प्रवचन हुआ। पढ़िए अशोक जेतावत की रिपोर्ट…


सलूंबर। वात्सल्य वारिधि दिगंबर जैनाचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी महाराज के ज्येष्ठ एवं श्रेष्ठ शिष्य युगल मुनिराज श्री अपूर्व सागर जी, मुनि श्री अर्पित सागर जी महाराज, क्षुल्लक श्री महोदय सागर जी ससंघ सान्निध्य में ‘त्रिमूर्ति’ पंचतीर्थ अभिनंदन साधना केंद्र, शेषपुर मोड़ में मंगलवार को 17वां वार्षिक उत्सव, मंदिर शिखर पर ध्वजा परिवर्तन, भक्तामर विधान पूजन एवं समाधिस्थ आचार्य श्री अभिनंदन सागर जी महाराज की गुरु पूजा आदि कार्यक्रम विधानाचार्य पंडित कमलेश सिंघवी (सलूंबर) के निर्देशन में संपन्न हुए।

चरणाभिषेक हुआ

दिगंबर जैन समाज के अशोक कुमार जेतावत (धरियावद) ने बताया कि युगल मुनिराज ससंघ सान्निध्य में त्रिमूर्ति पंचतीर्थ अभिनंदन साधना केंद्र पर मंगलवार को प्रातः गुरु को अर्घ्य समर्पण के साथ समारोह स्थल पर आमंत्रण, समारोह पूर्व ध्वजारोहण विधि एवं ध्वजारोहण किया गया। त्रिमूर्ति भगवान वासुपूज्य जी, चंद्रप्रभ जी और शांतिनाथ जी का चरणाभिषेक एवं शांतिधारा, गुरु पाद प्रक्षालन, जिनवाणी भेंट और मुनि श्री अपूर्व सागर जी महाराज का मंगल प्रवचन हुआ। त्रिमूर्ति भगवान का मस्तकाभिषेक प्रत्येक पांच वर्षों में होता है लेकिन जब भी दिगंबर जैन मुनिराज संघों का सान्निध्य प्राप्त होता है, तब चरणाभिषेक किया जाता है।

रखें समता भाव

मुनिश्री अपूर्व सागर जी महाराज ने इस अवसर पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जो भी भगवान की चौखट पर आता है, अगर वह रोता-रोता आता है, तो हंसता-हंसता जाता है। मुनिश्री ने एक कहावत सुनाते हुए कहा कि हुकुमत गरम की, बहू-बेटी शरम की और बात धर्म की, इस त्रिमूर्ति अतिशय क्षेत्र पर तीर्थंकर चंद्रप्रभ जी, वासुपूज्य जी और शांतिनाथ भगवान की प्रतिमाएं प्रतिष्ठित होकर विराजमान हैं।

ये चौबीस तीर्थंकर भगवान में क्रमशः आठवें, बारहवें और सौलहवें तीर्थंकर भगवान हैं। ये सभी सम संख्याएं हैं। हम सभी को समभाव रखकर प्राणी मात्र के प्रति समता का भाव रखना चाहिए।

सीधा-सरल है मोक्ष मार्ग

मुनिश्री अपूर्व सागर जी महाराज ने कहा कि यह क्षेत्र शेषपुर मोड़ नहीं, शेषपुर, शिवपुर बन गया है। आप सब भी अपने जीवन में पुरुषार्थ करके कल्याण करें, नहीं तो यह जीवन शव पुर होने वाला है। अगर शेषपुर को शिवपुर बनाना है तो अपने जीवन में मोड़ करना पड़ेगा। जीवन में मुड़ना पड़ेगा, मुड़कर मोह मार्ग से मोक्ष मार्ग पर जाना पड़ेगा। अगर मोक्ष मार्ग पर जाना है तो मोक्ष मार्ग हाइवे के समान सीधा और सरल है।

जबकि मोह मार्ग टेढ़ा-मेढ़ा और वक्र है। इसलिए हम सभी को सच्चे देव, शास्त्र और गुरु में श्रद्धा करके मोक्ष मार्ग पर अग्रसर होने का प्रयत्न एवं पुरुषार्थ करना चाहिए। सभी उपस्थित समाजजन को धर्म मार्ग में अग्रसर होने का मुनिश्री ने मंगल आशीर्वाद प्रदान किया।

मुनिश्री को वर्षायोग हेतु श्रीफल भेंट

दिगंबर जैन समाज के अशोक कुमार जेतावत (धरियावद) ने बताया कि दिगंबर जैन युगल मुनिराज श्री अपूर्व सागर जी, मुनि श्री अर्पित सागर जी, क्षुल्लक श्री महोदय सागर जी महाराज ससंघ को आगामी वर्षायोग 2024 को इस क्षेत्र पर ही करने हेतु श्री अभिनंदन साधना केंद्र चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष मोहन लाल विरदावत की अगुवाई में बीसा नरसिंहपुरा समाज (वागड़-छप्पन) के 35 गांवों के पंच महानुभावों ने श्रीफल भेंट किया। इस अवसर पर श्री समाज करावली के पंच महानुभावों ने मुनि संघ को करावली विहार करने हेतु श्रीफल भेंट किया।

युगल मुनिराज का ससंघ हुआ मंगल विहार 

युगल मुनिराज श्री अपूर्व सागर जी महाराज ससंघ का मंगलवार शाम त्रिमूर्ति अतिशय क्षेत्र से करावली की ओर मंगल विहार हो गया। रात्रि विश्राम देवगांव और बुधवार प्रातः सलूंबर नगर में भव्य मंगल प्रवेश हुआ। यहां पर नगर में विराजित दिगंबर जैन मुनिश्री श्रुतधरनंदी जी महाराज, मुनिश्री उत्कर्ष कीर्ति जी महाराज, क्षुल्लक श्री सुप्रभात सागर जी महाराज ससंघ सहित सकल दिगंबर जैन समाजजन ने भव्य अगुवाई कर जुलूस के साथ नगर भ्रमण करते हुए जिनालयों के दर्शन कर श्रमण भवन में पहुंचा, जहां पर धर्मसभा को संबोधित किया।

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