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दान दिवस के रूप में मनाया गया अक्षय तृतीया पारणा महोत्सव मुनि ऋषभदेव को गन्ने के रस का पहला आहार राजा श्रेयांस के हस्त से मिला


अक्षय तृतीया का पर्व हमें धार्मिक,सांस्कृतिक,समृद्ध आर्थिक स्थिति,फलती -फूलती कृषि और समाज की परोपकार की भावना के आधार पर जोड़ता है l अक्षय तृतीया का महापर्व न केवल सनातन परम्परा में बल्कि अल्पसंख्यक वर्ग के जैन समुदाय के लिए भी बड़ा महत्व रखता है ।अक्षय तृतीया के दिन ही जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने लगातार एक वर्ष 39 दिन तक उपवास करने के बाद इसी दिन प्रथम आहार ग्रहण किया था । पढि़ए जिनेन्द्र जैन की रिपोर्ट ……


बामनवास l अक्षय तृतीया का पर्व हमें धार्मिक,सांस्कृतिक,समृद्ध आर्थिक स्थिति,फलती -फूलती कृषि और समाज की परोपकार की भावना के आधार पर जोड़ता है l अक्षय तृतीया का महापर्व न केवल सनातन परम्परा में बल्कि अल्पसंख्यक वर्ग के जैन समुदाय के लिए भी बड़ा महत्व रखता है ।अक्षय तृतीया के दिन ही जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने लगातार एक वर्ष 39 दिन तक उपवास करने के बाद इसी दिन प्रथम आहार ग्रहण किया था I उस समय लोग आहार चर्या के किसी भी सिद्धांत एवं विधि से अनभिज्ञ थे ।हस्तिनापुर के राजा और ऋषभदेव के पौत्र श्रेयांस ने अपने पूर्व जीवन की यादों के कारण आहार चर्या को समझा।अक्षय तृतीया के दिन मुनि ऋषभदेव को गन्ने के रस का पहला आहार राजा श्रेयांस के हस्त से मिला था।

तब से अक्षय तृतीया अल्पसंख्यक वर्ग के जैन समुदाय में एक शुभ दिन बन गया। परोपकार को प्रेरित करने वाला यह पावन पर्व जैन समुदाय के लोगों के जीवन में नई उमंग और एक नई उर्जा लेकर आता है l इस दिन जैन समुदाय के लोग तब -तक भोजन – पानी नहीं लेते ,जब -तक मुनियों का आहार ना हो जाता है और जहां मुनिराज नही होते, वहां एक सामान्य समय के बाद ही आहार करते है lबामनवास ब्लॉक में जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर देवाधिदेव भगवान ऋषभदेव का प्रथम पारणा महोत्सव, दान दिवस के रूप में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया l प्रात:काल बामनवास ब्लॉक के सभी जैन मन्दिरों मे जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर भगवान ऋषभदेव का अभिषेक करने के बाद अष्ट द्रव्यों से पूजा अर्चना की गई। दिगम्बर जैन मन्दिर पिपलाई में सामूहिक विधान का आयोजन किया गया l इस अवसर पर दिगम्बर जैन समाज पिपलाई द्वारा बच्चो को शुद्ध ईक्षु रस पिलाया गया और सायंकाल में विशेष आरती का आयोजन किया गया l

सभी धर्मों में विशिष्ट महत्व रखती है अक्षय तृतीया

अक्षय तृतीया से सभी धर्मों की आस्था जुड़ी हुई है। सतयुग एवं त्रेतायुग का प्रारम्भ हो या भगवान विष्णु के 24 वें अवतारो में नर -नारायण,हयग्रीव एवं चिरजीवी अवतार, भगवान परशुराम का जन्मोत्सव या फिर देवी अन्नपूर्णा का जन्मोत्सव के कारण अपना अक्षय तृतीया अपना विशिष्ट महत्व रखती है lइस अवसर पर जैन समुदाय के लोगों ने देवाधिदेव ऋषभदेव भगवान से प्रार्थना की, प्रभु सम्पूर्ण देश में किसी भी जगह मुनिराजों का आहार निरअंतराय हो और हम अपनी जिन्दगी में ऐसा कोई कार्य नहीं करे, जिससे मुनिराज हमसे आहार लेना बंद कर दे एवं हमारे परिवार,कुल,वंश में कभी ऐसा ना हो कि मुनिराज आहार को आये और हम आहार देने की विधि ही भूल जाए l

इस अवसर पर सुनील जैन,रमेश जैन, विनोद जैन,सुमनलता जैन,आशु जैन, एकता जैन,आशा जैन,रजनी जैन एवं अभिनन्दन जैन सहित कई श्रावक – श्राविकाए उपस्थित थे l

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