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अयोध्या के मंदिर जैसा है जैन तीर्थ श्री सुमति नाथ मंदिर : पंचकल्याणक में पहली बार बिना धन की बोली


इंदौर में बना जैन तीर्थ श्री सुमति नाथ मंदिर अयोध्या के मंदिर जैसा ही बना है, आध्यात्मिकता और मैनेजमेंट को समझने के लिए युवाओं के लिए यह मंदिर जैन शोध का विषय है । यहां पर रामलला जैसी 51 इंच की श्री सुमतिनाथ भगवान की मूर्ति है गर्भगृह, नक्काशी, उड़ीसा के ही योग्य कारीगरों द्वारा की गई है। पढ़िए संजीव जैन “संजीवनी’ इंदौर का विशेष आलेख।


इंदौर। धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत से परिपूर्ण शहर में अब मूलनायक भगवान 1008 श्री सुमति नाथ भगवान का भव्य मंदिर, शहर के बीचो-बीच एयरपोर्ट के नजदीक, गांधीनगर में, करीब दो बीघा, बहुमूल्य जमीन पर आकार ले रहा है। सन 2017 में आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज ससंघ ने इस मंदिर की नींव का पत्थर रखा था। तब मंदिर के लाभार्थी मनीष-सपना गोधा परिवार को भी ब्रह्मांड की इच्छा का एहसास नहीं हुआ होगा इसकी रूपरेखा, आर्किटेक्चर एवं अन्य विशेषताएं देश के प्रतिष्ठित अयोध्या मंदिर के साथ समानता रखते हुए दृष्टिगोचर होने लगी है। यह मंदिर अपने निर्माण के अंतिम चरण में है एवं दिनांक 6 मार्च से 11 मार्च तक धरती के देवता आचार्य शिरोमणि 108 श्री विशुद्ध सागर महाराज ससंघ यहां की मूर्तियों को भगवान का स्वरूप देने, जिसे पंचकल्याणक कार्यक्रम कहा जाता है के साक्षी बनने और इससे निमित्त सभी क्रियाओं को करने के लिए पधार रहे हैं।

पंचकल्याणक में पहली बार बिना धन की बोली

इस पंचकल्याणक में पहली बार, बिना धन की बोली के, शुद्ध धार्मिक भावनाओं के संकल्प सहित 5100 इंद्र-इंद्राणी व अन्य पात्रों का चयन पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर किया गया है। आधुनिक प्रबंधन के साथ प्राचीनतम आगम अनुरूप क्रियाओं के द्वारा यह पंचकल्याणक संपन्न करवाया जा रहा है। इंदौर का प्रतिष्ठित मनीष गोधा व परिवार ने भूमि से लेकर निर्माण व पंचकल्याणक तक के सभी कार्यों में अपनी चंचला लक्ष्मी का सदुपयोग किया है समस्त मूर्तियों एवं नक्काशी का कार्य निर्माण स्थल पर ही अत्यंत योग्य व उड़ीसा के कुशल कारीगरों द्वारा किया गया है। मान सम्मान से दूर, गोधा दम्पत्ति का मानना है कि यह कार्य ब्रह्मांड की दिव्य शक्तियों द्वारा ही किया जा सकता है और किया जा रहा है कृपया हमारा सम्मान कर हमें शर्मिदा न करे। हम तो निमित्त मात्र हैं। मंदिर के पास ही करीब 15000 स्क्वायर फीट में बनने वाले संत निवास भी पूर्णता की ओर अग्रसर है इसमें सभी जैन साधुओं के लिए आवास, आहार एवं शिक्षण की व्यवस्था संपूर्ण वर्ष भर रहेगी। साधुओं के निहार के लिए भी व्यवस्था बनाई गई है।

यह प्रकल्प दिलाता है प्रसिद्ध दानवीर सर सेठ हुकुमचंद कासलीवाल और आर के मार्वल के नारेली मंदिर की याद

मंदिर के सामने ही करीब 50 आवासीय फ्लैट जैन समाज के निराश्रित परिवारों को नि:शुल्क रहने के लिए बनाए गए हैं। जो करीब करीब सभी ऐसे परिवारों को दिए जा चुके हैं। इस मंदिर और इसके साथ बनाए जा रहे सामाजिक प्रकल्पों को देखकर इंदौर के प्रसिद्ध सर सेठ हुकुमचंद जी की याद ताजा हो जाती है वह भी समाज उपयोगी कार्य इसी तरह निस्वार्थ भाव से करते हुए अपनी धन का सदुपयोग करते थे। ऐसा ही एक जैन मंदिर नारेली राजस्थान में आरके मार्बल परिवार द्वारा स्वयं की चंचला लक्ष्मी से समाज को समर्पित किया जाना है।

पंचकल्याणक में भक्त सुनेंगे सिर्फ महावीर की बोली

मार्च में आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज के सानिध्य में होने वाले इस पंचकल्याणक में देश में प्रथम बार किसी तरह की कोई बोली नहीं लगेगी और यहां प्रतिष्ठा में सहयोगी, 5100 इंद्र इंद्राणी, जो कि संभवतया देश मे प्रथम वार है अथवा अन्य पात्रों से किसी तरह का शुल्क नही लिया जाएगा। कार्य समय पर और बिना माला-माइक व सम्मान के साथ साथ सभी व्यवस्थाएं नि:शुल्क एवं उच्च गुणवत्ता की होगी।

आधुनिक पाठशाला, स्वाध्याय कक्ष व लाइब्रेरी का निर्माण

मंदिर प्रांगण में ही आधुनिक लाइब्रेरी एवं पाठशाला का निर्माण किया जा रहे हैं जिसे स्वाध्याय कक्ष के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।

प्राचीनतम एवं दुर्लभ मानस्तंभ का निर्माण

मंदिर प्रांगण में मूल प्रतिमा के सामने एक ऐसे मान स्तंभ का निर्माण किया जा रहा है जिसमें 24 तीर्थंकर पद्मासन रूप में मध्य भाग में, एवं चार तीर्थंकर खड्गासन रूप में सबसे ऊपर विराजमान होंगे।

देवी मां पद्मावती के उपासक, पर स्वयं की मां की इच्छा के अनुरूप शुद्ध तेरापंथी मंदिर का निर्माण

प्रचार प्रसार से दूर रहने वाले लाभार्थी श्री मनीष गोधा, मंदिर शुद्ध तेरापंथ की पूजन पद्धति के हिसाब से निर्मित कर रहे हैं मंदिर प्रांगण में किसी भी देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित नहीं की गई हैं परंतु वह स्वयं मां पद्मावती के अनुयायी हैं और मानते हैं कि उनकी कृपा उनके ऊपर बरसती है।

कुछ साल पहले श्री गोधा, 1251 तीर्थयार्थियों को स्पेशल ट्रेन से सम्मेदशिखरजी, झारखंड अत्यधिक सुविधाओं के साथ, निःशुल्क लेकर गए थे तब पहली बार वह चर्चा में आए थे।

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