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मुनि सुधा सागर महाराज की देशना खिरी : जिंदगी में जो भी घटित होता है, पूर्व नियोजित नहीं होता


पारसनाथ दिगंबर जैन मंझार मंदिर में निर्यापक मुनि श्री 108 सुधासागर जी महाराज एवं क्षुल्लक 105 गंभीर सागर जी महाराज विराजमान हैं। प्रतिदिन मुनि श्री के प्रवचन एवं शाम को जिज्ञासा समाधान का आयोजन किया जा रहा है। पढ़िए राजीव सिंघई की विशेष रिपोर्ट…


टीकमगढ़। शहर के मध्य में स्थित पारसनाथ दिगंबर जैन मंझार मंदिर में निर्यापक मुनि श्री 108 सुधासागर जी महाराज एवं क्षुल्लक 105 गंभीर सागर जी महाराज विराजमान हैं। प्रतिदिन मुनि श्री के प्रवचन एवं शाम को जिज्ञासा समाधान का आयोजन किया जा रहा है। मंझार जैन मंदिर के नव निर्माण की रूपरेखा बन रही है। प्रदीप जैन बम्होरी ने बताया कि मुनि श्री के विराजमान होने के बाद उनके पाद प्रक्षालन एवं चित्र आनावरण एवं शास्त्र भेंट का कार्यक्रम संपन्न हुआ।

पाप करने से डरो

मुनि श्री ने प्रवचन में कहा कि हम धर्म करना चाहते हैं लेकिन कर नहीं पा रहे हैं। हम अच्छे इंसान बनना चाहते हैं लेकिन बन नहीं पा रहे हैं। हम सुबह उठकर सोचते हैं कि आज क्रोध नहीं करना है लेकिन बिना क्रोध किए हम अपना दिन गुजार नहीं पाते। मुनि श्री ने कहा कि कोई व्यक्ति नहीं चाहता कि मैं आज गुस्सा करूंगा लेकिन शाम तक किसी न किसी से झगड़ा, राग-द्वेष हो जाता है। कोई घर से बुरी नजर के लिए नहीं निकलता कि आज मैं बुरा देखूगा लेकिन पता नहीं बुराइयों पर नजर चली जाती है। जो आपकी जिंदगी में घटित हो रहा है, वह पूर्व नियोजित नहीं होता। हर व्यक्ति आदतन अपराधी नहीं होता, आदतन अपराधी को सुधारना बहुत कठिन कार्य है। जो आदतन अपराधी होते हैं, वे अपराध करने से नहीं डरते। जेल जाने से भी नहीं डरते हैं।

वे नरक जाने से भी नहीं डरते। वे तो अपनी जान हथेली पर लेकर तैयार रहते हैं और कुछ भी कर सकते हैं। उनके बारे में आचार्य श्री ने कहा कि सबसे पहले उनको भय दिखाओ, उसका चेहरा देखो। वह डर से भयभीत हो जाए, उसके माथे पर पसीना आ जाए, उसको बताओ कि नरक में जीव की क्या दुर्गति होती है। उसके बारे में बताओ। निश्चित ही वो पाप करने से डरेगा। अत्याचार-अनाचार से डरेगा और यही डर उसके आत्म कल्याण का कारण बनेगा। इससे पहले गुरुवार को बंधा जी एवं क्षेत्रीय समाज के लोगों ने मुनि श्री के बंधा जी आगमन के लिए श्रीफल भेंट किया। वहीं शुक्रवार को महरौनी (उत्तर प्रदेश) से सैकड़ों की संख्या में लोग पदयात्रा करते हुए टीकमगढ़ पहुंचे। सभी पदयात्रियों ने मुनि श्री को श्रीफल समर्पित किया। समाज के सभी लोगों ने महरौनी चलने के लिए मुनि श्री से निवेदन किया। मुनि श्री ने सभी को आशीर्वाद प्रदान किया।

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