आलेख

आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज के दीक्षा दिवस 31 मार्च पर विशेष :  सराकोद्धारक व सराको के राम नाम से हुए प्रसिद्ध


मुरैना में 01 मई 1957 को श्री शांतिलाल जैन (विचपुरी वाले) के घर मां श्रीमती अशर्फी देवी की कुक्षी से एक बालक का जन्म हुआ। पंडित जी ने बालक की कुंडली बनाकर नाम रखा उमेश। यही उमेश आगे चलकर आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज के नाम से प्रसिद्ध हुए। आपने भगवान महावीर स्वामी जन्मकल्याणक के पावन अवसर पर चैत सुदी तेरस 31 मार्च, 1988 को श्री सिद्धक्षेत्र सोनागिर जी में आचार्य श्री सुमतिसागर जी महाराज से मुनि दीक्षा ग्रहण की। पढ़िए मनोज जैन नायक का यह विशेष आलेख…


मुरैना, मनोज जैन नायक। चम्बल अंचल की पावन व पवित्र वसुन्धरा पर संस्कारधानी धर्म नगरी मुरैना में 01 मई 1957 को श्री शांतिलाल जैन (विचपुरी वाले) के घर मां श्रीमती अशर्फी देवी की कुक्षी से एक बालक का जन्म हुआ। पंडित जी ने बालक की कुंडली बनाकर नाम रखा उमेश। बालक उमेश प्रारम्भ से ही धार्मिक संस्कारों से प्रभावित रहे। आप शुरू से ही देव- शास्त्र -गुरु की भक्ति में मग्न रहते थे।

विरासत में मिली प्रेरणा

आपको संयम के मार्ग पर चलने की प्रेरणा विरासत में ही मिली थी। आपके बाबा शंकरलाल जी (क्षुल्लक वर्धमान सागर) एवं मुरैना के श्री गोपाल दिगम्बर जैन संस्कृत महाविद्यालय से प्राप्त शिक्षा व संस्कारों का ऐसा प्रभाव रहा कि आपको आधुनिक भौतिक परिवेश व सांसारिक सुख भी प्रभावित नहीं कर सका। मात्र 19 वर्ष की अल्पआयु में गृह त्यागकर संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से ग्राम वीरमपुर-अजमेर में सन 1974 में आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत अंगीकार कर संयम के मार्ग पर चलने का दृढ़ संकल्प लिया।

आपके दृढ़ निश्चय को देखते हुए 5 नवम्बर, 1976 को श्री सिद्धक्षेत्र सोनागिर जी में आचार्य श्री सुमतिसागर जी महाराज ने आपको क्षुल्लक दीक्षा प्रदान की और नाम रखा क्षुल्लक गुण सागर जी महाराज। दीक्षा लेने के बाद अपने जैन शास्त्रों का गहन अध्ययन किया। आपकी क्षुल्लक अवस्था की उत्कृष्ट साधना से अनेक धर्मानुरागी बन्धु प्रभावित हुए।

उनमें से जयकुमार एवं वीरेंद्र जी ने तो आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से मुनिदीक्षा ग्रहण की और मुनिश्री सुधासागर जी व मुनिश्री क्षमासागर जी महाराज के रूप में साधनारत हैं। दीक्षा लेने के बाद सन 1979 में मानस्तम्भ पंचकल्याणक महोत्सव के अवसर पर आचार्य श्री विद्यासागर जी के साथ एक दिन के अल्पप्रवास पर आप मुरैना आये थे। क्षुल्लक अवस्था में आपने कभी भी वाहन का उपयोग नहीं किया और न ही कभी दुपट्टे का उपयोग किया।

दुर्गम स्थानों पर पद विहार

भगवान महावीर स्वामी जन्मकल्याणक के पावन अवसर पर चैत सुदी तेरस 31 मार्च, 1988 को श्री सिद्धक्षेत्र सोनागिर जी में आचार्य श्री सुमतिसागर जी महाराज से मुनि दीक्षा ग्रहण की। नाम रखा गया मुनिश्री ज्ञानसागर जी महाराज। पूज्य गुरुदेव ने आपकी प्रतिभा को देखते हुए आपको उपाध्याय पद से विभूषित किया। आपने दुर्गम स्थानों में पद विहार करते हुए जैन धर्म से विमुख हुए सराक बन्धुओं को पुनः समाज की धारा में लाने का सतत प्रयास किया। इसी कारण आप सराकोद्धारक व सराको के राम नाम से प्रसिद्ध हुए। श्री अतिशय क्षेत्र बड़ागांव (बागपत) त्रिलोकतीर्थ धाम में 27 मई 2013 में आपको आचार्य श्री शांतिसागर (छाणी) परम्परा के षष्ट पट्टाचार्य के रूप में आचार्य पद पर प्रतिष्ठित किया गया।

ऐसा हुआ ज्ञानतीर्थ का निर्माण

सराकोद्धारक षष्ट पट्टाचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज के परम भक्त अनूप जैन भण्डारी मुरैना ने बताया कि दिगम्बर अवस्था में पूज्य गुरुदेव अपनी जन्मस्थली मुरैना में पहलीबार 26 जनवरी 2003 में अतिशय क्षेत्र सिहोनियां जी पंचकल्याक महोत्सव के निमित्त आये थे। तब पूज्य गुरुदेव की प्रेरणा एवं आशीर्वाद से ए बी रोड मुरैना में ज्ञानतीर्थ जैन मंदिर निर्माण हेतु जमीन खरीदी गई और ज्ञानतीर्थ निर्माण की आधार शिला रखी गई। पूज्य आचार्य श्री के सान्निध्य में मुरेना नगर में श्री नन्दीश्वरदीप पंचकल्याणक 3 फरवरी 2006 में हुआ और ऐतिहासिक नगर गजरथ निकाला गया। वर्ष 2016 में पूज्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज का ज्ञानतीर्थ मुरैना में चातुर्मास हुआ। गुरुदेव के ज्ञानतीर्थ आने से ज्ञानतीर्थ के निर्माणकार्य में गति आई। ज्ञानतीर्थ के शिखर पर बड़े बाबा श्री आदिनाथ की विशाल एवं भव्य पदमासन मूर्ति 14 जुलाई 2016 को विराजमान की गई। ज्ञानतीर्थ जैन मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व ही गुरुदेव ने धर्म प्रभावना हेतु विहार कर दिया।

साधना करते हुए मोक्षगामी

विधि के विधान को कौन टाल सकता है। गुरुदेव विहार करते हुए कोटा के नजदीक अतिशय क्षेत्र वांरा (राज.) पहुंचे और वहीं पर अपने अंतिम वर्षायोग में साधना करते हुए भगवान महावीर निर्वाण दिवस की पावन बेला में कार्तिक कृष्ण अमावस्या 15 नबंवर 2020 को समाधि को प्राप्तकर मोक्षगामी हो गए। सप्तम पट्टाचार्य श्री ज्ञेयसागर जी महाराज, आचार्य श्री विनीत सागर जी महाराज के पावन सान्निध्य में एवं स्वस्तिधाम प्रणेत्री गुरुमां श्री स्वस्तिभूषण माताजी के पावन निर्देशन में 01 फरवरी से 06 फरवरी 2023 तक मुरैना ज्ञानतीर्थ जैन मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई। आज 31 मार्च को ऐसे पूज्य गुरुदेव श्री ज्ञानसागर जी महाराज के दीक्षा दिवस पर उनके चरणों में कोटि-कोटि नमन।

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