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धर्मसभा : आचार्य ज्ञानसागर ने मुरैना का नाम रोशन किया है-गिर्राज डंडोतिया


सारांश

ज्ञानतीर्थ जैन मंदिर पर चल रही धर्मसभा को मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष गिर्राज डंडोतिया (कैबिनेट मंत्री) ने संबोधित किया। धर्मसभा में गर्भकल्याणक की खुशियां मनाई गईं। पढ़िए मनोज नायक की विस्तृत रिपोर्ट…


मुरैना। चम्बल की पावन धरा पर जन्म लेकर आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने अपने कुल का ही नहीं बल्कि मुरैना का नाम सम्पूर्ण विश्व में रोशन किया है। आप एक महान और परोपकारी सन्त थे। पूज्य गुरुदेव ने सत्य और अहिंसा का उपदेश देकर हम सभी पर जो उपकार किया है, उसे हम भूल नहीं सकते। मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष गिर्राज डंडोतिया (कैबिनेट मंत्री) ने ज्ञानतीर्थ जैन मंदिर पर चल रही धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए ये विचार व्यक्त किए। डंडोतिया ने विराजमान सभी आचार्य श्री एवं अन्य साधु संतों के चरणों में श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया। ज्ञानतीर्थ परिवार एवं जैन समाज की ओर से डंडोतिया जी को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।

सजा राज दरबार

श्री ज्ञानतीर्थ प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में राज दरबार सजाया गया। श्री आदिनाथ जिनबिंब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के प्रतिष्ठाचार्य ब्र. जयकुमार निशांत ने बताया कि गर्भ कल्याणक पूर्व रूप के अंतर्गत इंद्रसभा में सुधर्मा सभा में तत्वचर्चा हुई। सौधर्म इंद्र की सभा में आए हुए देवों-देवियों ने तत्वचर्चा करते हुए अपनी-अपनी शंकाओं का समाधान किया। सभा के मध्य देवों-देवियों ने भक्ति नृत्य करते हुए आनन्द लिया। सभा के मध्य कुबेर इंद्र अपनी शचि इंद्राणी के साथ राज दरबार में पधारे। कुबेर इंद्र द्वारा रत्न व्रष्टि की गई। सौधर्म इंद्र की आज्ञानुसार कुबेर इंद्र ने अयोध्या नगरी में 81 खण्ड का नद्यावर्त भवन का निर्माण कराया। कुबेर के स्वागत में नृत्यांगनाओं द्वारा नृत्य प्रस्तुत किये गए। जगत जननी मां मरुदेवी की सेवा में अष्टकुमारियां प्रस्तुत हुईं। रात्रि के अंतिम पहर में माता मरुदेवी ने सोलह स्वप्न देखे, उनकी मंच पर प्रस्तुति की गई। रात्रिकालीन बेला में प्रतिष्ठाचार्यों द्वारा गर्भकल्याणक की आंतिरिक क्रियाएं की गईं।

साधु-आर्यिकाओं का रहा सानिध्य

प्रातःकालीन बेला में जैनाचार्य श्री विनीत सागर, ज्ञेयसागर के सान्निध्य में एवं गणिनी आर्यिका स्वस्तिभूषण माताजी के निर्देशन में भगवान के अभिषेक, शांतिधारा, पूजन आदि कार्यक्रम सम्पन्न हुए। मंच पर आचार्यो, मुनिराजों के साथ गणिनी आर्यिका लक्ष्मीभूषण माताजी, सृष्टीभूषण माताजी, आर्षमति माताजी, आर्यिका अंतसमती माताजी, कुमुदमती माताजी सहित समस्त साधुगण एवं आर्यिकाएं विराजमान थीं। ज्ञानगेह आवास ग्रह से लावलश्कर के साथ महाराज नाभिराय एवं महारानी मरुदेवी बग्घी में सवार होकर आयोजन स्थल काल्पनिक नव निर्मित अयोध्या नगरी पहुंचीं। दोपहर माता मरुदेवी की गोद भराई का कार्यक्रम हुआ। सर्वप्रथम ब्रह्मचारिणी बहिनों एवं त्यागी व्रतियों ने गोद भराई की। इसके बाद उपस्थित माता-बहिनों ने पंच मेवा से माता मरुदेवी की गोद भरी।

शुक्रवार को जन्मकल्याणक

शुक्रवार को प्रातः कालीन बेला में बालक आदिनाथ का जन्म होगा। सौधर्म इंद्र बालक को लेकर जन्माभिषेक के लिए पांडुक शिला पर जाएंगे। जन्मोत्सव का विशाल एवं भव्य चल समारोह होगा। चल समारोह में हाथी, घोड़ा, बग्घी, 5 रथ, 5 बैंड, ढोल, ताशेृझांकिया जुलूस को शोभायान करेंगे।

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