तीर्थ यात्रा

संतों -त्यागियों की सामाजिक उपेक्षा से पीड़ित थे आचार्य श्री योगींद्र सागर महाराज : त्यागी, व्रतियों के आहार, वैयावृत्ति, सेवा के साथ-साथ जीवदया के लिए गौशाला की सम्पूर्ण उचित व्यवस्था होगी शीतल तीर्थ में


शीतल तीर्थ निर्माण की परिकल्पना आचार्य श्री योगींद्र सागर जी महाराज की है और उन्हीं की प्रेरणा एवं आशीर्वाद से उनके ही निर्देशन में तीर्थ का निर्माण वर्ष 2009 में प्रारंभ हुआ था। आचार्य श्री के आशीर्वाद से उनके मनोभाव के अनुरूप यहां एक 51 फीट ऊंची कृत्रिम कैलाश पर्वत की पहाड़ी का निर्माण किया है। जिसमें 17 फुट उतुंग आदिनाथ भगवान की प्रतिमा स्थापित की जा चुकी है। तीन चौबीसी के 72 जिनालयों की निर्माण प्रक्रिया चल रही है। आगामी 22 से 28 फरवरी तक आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा और महामस्तकाभिषेक का आयोजन किया जा रहा है। पढ़िए दीपक जैन की यह विस्तृत रिपोर्ट….


आचार्य श्री योगेन्द्र सागर जी
आचार्य श्री योगेन्द्र सागर जी

रतलाम में निर्मित दिगंबर जैन शीतल तीर्थ पर आगामी 22 से 28 फरवरी तक आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा और  महामस्तकाभिषेक का आयोजन किया जा रहा है। शीतल तीर्थ निर्माण की परिकल्पना आचार्य श्री योगींद्र सागर जी महाराज की है और उन्हीं की प्रेरणा एवं आशीर्वाद से उनके ही निर्देशन में तीर्थ का निर्माण वर्ष 2009 में प्रारंभ हुआ था, लेकिन दुर्भाग्य से वर्ष 2012 में आचार्य श्री समाधिस्थ हो गए। आचार्य श्री की भावना अनुसार ही शीतल तीर्थ संत सेवा, मानव सेवा, जीव दया को समर्पित रहेगा। आगामी 26, 27 एवं 28 फरवरी को 51 फीट ऊंचे कृत्रिम रूप से तैयार किए गए कैलाश पर्वत पर भगवान आदिनाथ की प्रतिष्ठित प्रतिमा का महामस्तकाभिषेक होगा, जिसमें देशभर के हजारों श्रद्धालु सम्मिलित होकर अभिषेक करेंगे। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण शीतल तीर्थ पर तीन चौबीसी जिनालय में 72 जिनबिंबों को भी विराजमान किया जाएगा। तीर्थ पर गुरु मंदिर, गौशाला, यात्री निवास, संत सदन, औषधालय एवं एक सुदर्शनीय बाल उद्यान का निर्माण पूर्ण हो चुका है। महोत्सव में आने वाले यात्रियों के आवास एवं भोजन की समुचित व्यवस्था भी की जाएगी।

ऐसे साकार हुई तीर्थ की परिकल्पना

शीतल तीर्थ रतलाम
शीतल तीर्थ रतलाम

आचार्य श्री योगीन्द्रसागर जी महाराज पराविद्याओं के विशेषज्ञ थे। अपनी इस अद्वितीय प्रतिभा से वे समाज के लोगों की जैन धर्म व णमोकार मंत्र के प्रति आस्था को सुदृढ़ रखने का प्रयास करते थे। उन्होंने अपने साधु जीवन के 33 वर्षों में सामाजिक उतार-चढ़ाव बदलाव को बहुत गहराई से देखा व समझा। जीवन के उत्तरार्ध में संतों -त्यागियों की सामाजिक उपेक्षा आचार्य श्री के अन्तर्मन को पीड़ित करती थी। अपनी इस गहन पीड़ा को आचार्य श्री ने अपने भक्तों के समक्ष रखकर एक ऐसे तीर्थ निर्माण की परिकल्पना दी, जिसमें त्यागी, व्रतियों के आहार, वैयावृत्ति, सेवा के साथ-साथ जीवदया के लिए गौशाला की सम्पूर्ण उचित व्यवस्था हो। इसी संदर्भ में आचार्य श्री की प्रेरणा से सन् 2001-02 में गठित एवं रजिस्टर्ड नेशनल नॉन वायलेंस यूनिटी फाउण्डेशन ट्रस्ट द्वारा रतलाम- बांसवाड़ा रोड पर 2009 में 21 बीघा जमीन क्रय की गई। इसके बाद 14 जून, 2009 को आचार्य श्री के ससंघ सान्निध्य में तीर्थ का नामकरण श्री दिगम्बर जैन धर्मस्थल शीतलतीर्थ कर इसका भूमि पूजन किया गया। इस पूण्य भूमि पर पूज्य गुरुदेव के वर्ष 2009-10-11 के तीन चातुर्मास सम्पन्न हुए। चातुर्मास अवधि में गुरुदेव की तपस्या, साधना, पूजन विधानों के अनेकानेक आयोजन से यह भूमि और अधिक ऊर्जावान होकर मन को शीतलता प्रदान करने में सहायक हो गई।

होते हैं कई अतिशय

शीतल तीर्थ रतलाम
शीतल तीर्थ रतलाम

जब गुरुदेव सशरीर इस तीर्थ पर विराजित रहते थे तो अनेकानेक अतिशय वहां होते ही थे किन्तु आज भी उन सिद्धियों एवं शक्तियों का एहसास भक्तों को गुरुदेव के समाधिस्थ होने के 9 वर्षों भी होता है। यहां गुरुदेव के कई ऐसे भक्त बन गए है जिन्होंने गुरुदेव के साक्षात् दर्शन नहीं किए, किन्तु गुरुदेव के कथनानुसार यहां विराजित भगवान आदिनाथ के अतिशयकारी चैत्यालय में णमोकार मंत्र का जाप, गुरु मंदिर में गुरुदेव के जाप, मां पद्मावती मंदिर में माता के जाप व क्षेत्रपाल मंदिर में क्षेत्रपालजी के जाप कर अपनी इच्छाओं को पूर्ण करते है। जो भी दर्शनार्थी यहां पर एक बार पूर्ण निष्ठा से दर्शनार्थ आता है, उनकी मनोकामना यहां पूर्ण होती है।

शीतलता से भरपूर

शीतल तीर्थ रतलाम
शीतल तीर्थ रतलाम

नाम के अनुरूप यहां वास्तव में बहुत शीतलता है, शांति है। इस क्षेत्र के अतिशय को यहां आकर महसूस किया जा सकता है। कितनी बाधाओं से पीड़ित व्यक्ति यहां आकर णमोकार मंत्र का जाप करके  बीमारियों से मुक्त हो जाते हैं। यहां ऐसे अनेकानेक अतिशय प्रतिदिन होते रहते हैं एवं श्रद्धालुओं का आगमन लगा रहता है। इस तीर्थ पर सुंदर यात्री निवास एवं भोजनालय है।

कृत्रिम कैलाश पर्वत का निर्माण पूरा

शीतल तीर्थ । आचार्य योगेन्द्र सागर जी
शीतल तीर्थ । 

आचार्य श्री के आशीर्वाद से उनके मनोभाव के अनुरूप यहां एक 51 फीट ऊंची कृत्रिम कैलाश पर्वत की पहाड़ी का निर्माण किया है। जिसमें 17 फुट उतुंग आदिनाथ भगवान की प्रतिमा स्थापित की जा चुकी है। तीन चौबीसी के 72 जिनालयों की निर्माण प्रक्रिया चल रही है। भगवान आदिनाथ जी की प्रतिमा पर 31 फीट का शिखर भी निर्माणाधीन है। आचार्य श्री योगीन्द्रसागर जी महाराज का भव्य गुरु मन्दिर भी यहां बन चुका है, जिसमें गुरु देव की सवा तीन फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है। मां भगवती पद्मावती पार्श्वनाथ मंदिर का सुन्दरतम मंदिर भी यहां दर्शनीय है। इसमें श्री धरणेन्द्र एवं मां पद्मावती जी की 5-5 फीट की खड़गासन प्रतिमाएं विराजमान हैं तथा इनके मस्तक के ऊपर भगवान पार्श्वनाथ की तीन सुन्दर प्रतिमाएं हैं। यहां क्षेत्ररक्षक क्षेत्रपाल देव की स्थापना बटुक भैरव नाम से की गई है। यहां एक गौशाला भी संचालित की जा रही है। इसमें 150 से अधिक वृद्ध एवं असहाय गौवंश विद्यमान है।

गुरु मंदिर शीतल तीर्थ रतलाम
गुरु मंदिर शीतल तीर्थ रतलाम
आप को यह कंटेंट कैसा लगा अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे।
+1
16
+1
5
+1
0

About the author

संपादक

Add Comment

Click here to post a comment

You cannot copy content of this page

× श्रीफल ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें