बदलाव की बयार श्रीमहावीरजी महामस्तकाभिषेक समाचार

मामला अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी में चल रहे महामस्तकाभिषेक महोत्सव का : 84.3 फीसदी ने साधुओं को निमंत्रण नहीं देने को बताया अनुचित, 94.5 फीसदी ने कहा- समिति को वापस लेना चाहिए निर्णय

भगवान महावीर का शिष्य श्रेणिक दुविधा में

मामला अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी में चल रहेमामला अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी में चल रहे महामस्तकाभिषेक महोत्सव का

महोत्सव को लेकर कराए गए पोल के जवाबों ने उठाए कई सवाल, आम जनता को भी महामस्ताभिषेक का अवसर देने का पक्ष

रिपोर्ट – अमित कुमार

भगवान महावीर के 24वर्ष बाद आयोजित महामस्तकाभिषेक की व्यवस्थाओं और साधुओं को निमंत्रण नहीं देने सहित समिति के निर्णयों को लेकर भगवान महावीर के शिष्य श्रेणिक के मन में सवाल उठे और इन्हीं सवालों के आधार पर एक पोल किया गया। इनके जो जवाब सामने आए हैं, अब वे भी कई सवाल उठा रहे हैं। हालांकि ये सवाल आलोचना के लिए नहीं, बल्कि धर्म और समाज में सुधार के भाव से ही सामने आ रहे हैं। धर्म में लोगों की भागीदारी बढ़ाने और सकारात्मक सोच के साथ किए जा रहे प्रयास ही इस तरह के आयोजनों को बेहतर बनाएंगे।

24 वर्ष बाद अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी में महामस्तकाभिषेक महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। बड़ी बात ये है कि जयपुर और महावीरजी के आसपास विराजमान साधुओं को महोत्सव के लिए आमंत्रण नहीं दिया गया है। ये लोगों में चर्चाओं का विषय बना है। जब इसी से जुड़ा सवाल पोल के माध्यम से किया गया तो 84.3 फीसदी लोगों ने कहा कि महामस्तकाभिषेक में साधुओं को निमंत्रण नहीं देना अनुचित है। 80 हजार रुपए से कम का कलश रखे जाने को लेकर 93 प्रतिशत से अधिक जनता सहमत नजर आ रही है। धर्म के कार्यों को भोग के चश्मे से देखे जाने के मामले में धन की आवक को प्रथम रखे जाने की चर्चाएं, साधुओं से पहले श्रावकों को रखने के निर्णय जैसे सवालों ने आयोजन कमेटी को कठघरे में खड़ा किया है। महावीरजी के आसपास 80-90 साधुओं को बिसरा दिए जाने और प्रभावना के लिए चकाचौंध किए जाने के मामले ने सवालों का जैसे अंबार ही लगा दिया है।

धन की चमक में कहीं खो न जाए धर्म?
हजारों बल्ब, फ्लैश लाइट, झूमर, फोकस लाइट और एलईडी की चकाचौंध यहां धन की चमक का ही आभास कराती है। लेकिन, साधुओं को बिसरा दिए जाने, हजारों रुपए के कलश रखे जाने जैसे मामलों ने आयोजन की सोच को सवालिया बनाया। जवाब जनता के बीच से आ रहे हैं। उसमें सवाल ये भी आ रहा है कि कहीं धन की चमक में धर्म खो न जाए? लेकिन, जो जवाब आ रहे हैं, उन्होंने इतना तो तय किया है कि आयोजन समिति को अपने निर्णयों पर फिर से विचार करना चाहिए।

  • मन में उठा प्रश्न पूछा तो ये मिले जवाब…
    *श्रीमहावीरजी में आयोजित महामस्तकाभिषेक में साधुओं को निमंत्रण नहीं देना क्या उचित है?
    84.3 प्रतिशत – ना
    15.7 प्रतिशत- हां

*क्या आम जनता को भी महामस्ताभिषेक का अवसर देना चाहिए था?
75.5 प्रतिशत- हां
27.5 प्रतिशत- नहीं

*क्या सभी श्रद्धालुओं को मौका देने के लिए 80 हजार रुपए से कम का कलश भी रखा जाना चाहिए था?
93.3 प्रतिशत- हां
7.7 प्रतिशत- नहीं

*धार्मिक आयोजनों में इस तरह की परंपरा क्या आने वाली पीढ़ी को धर्म के संस्कार और संस्कृति से जोडऩे में सफल हो पाएगी?
81.1 प्रतिशत- हां
18.9 प्रतिशत- नहीं

*क्या आयोजन को समिति को वापस अपने निर्णय पर विचार करना चाहिए?
94.5 प्रतिशत- हां
5.5 प्रतिशत- नहीं

‘भगवान महावीर का शिष्य श्रेणिक दुविधा में’ के पुराने क्रम भी पढ़े

  1. मेरी दुविधा भारी- महावीर कहते है धर्म को महत्व दो, लेकिन अभिषेक के लिए तो धन चाहिए
  2. मेरी दुविधा भारी-श्रावकों के लिए सारे इंतजाम और साधुओं को निमंत्रण भी नहीं 
  3. मैं बड़ी दुविधा में इसलिए आपसे पूछ रहा हूं प्रश्न
  4. समाज से उठ रही मांग, सबको मिले अभिषेक का अवसर, निमंत्रित किए जाएं अन्य साधु
  5. भगवान महावीर का शिष्य श्रेणिक दुविधा में- महावीर जन-जन के या धन के
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