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दिगम्बर जैन समाज के रत्न प्रदीप जी की जन्मजयंती आज: जैन समाज को “प्रदीप्त’ कर गए प्रदीप कुमार


सारांश

अपने जीवन में रहते हुए दिगम्बर जैन समाज के राष्ट्रीय नेता श्री प्रदीप कुमार सिंह कासलीवाल ने समाज सेवा में वो असाधारण कार्य किए हैं । सकल जैन समाज उनके व्यक्तित्व और कृतित्व के आगे नतमस्तक है। समाज के ऐसे महापुरुष, जिन्होनें अपने नाम को इस रूप में सार्थक किया कि संपूर्ण दिगम्बर समाज के भविष्य की राह उनकी अलौकिक प्रेरणा से आज भी प्रदीप्त हो रहा है । पढ़िए विस्तार से “जैन रत्न” प्रदीप जी की बात…दिगंबर जैन समाज के सामाजिक संसद मंत्री डॉ.जैनेन्द्र जैन की कलम से…


 

जैन समाज में हमेशा राष्ट्रीय भूमिका निभाने वाले जैन रत्न श्री प्रदीप कुमार सिंह कासलीवाल अपनी संगठन क्षमता और कार्यकुशलता से समाज को सदैव प्रदीप्त करते रहते थे। दिगम्बर जैन समाज के एक राष्ट्रीय नेता के रूप में उनका देश की दिगम्बर जैन समाज के शीर्ष नेताओं में अग्रणी स्थान था। जैन शिरोमणि एवं वरिष्ठ समाजसेवी स्व. श्री देवकुमारसिंहजी कासलीवाल के पुत्र श्री प्रदीपजी कासलीवाल दिगम्बर जैन समाज के सर्वप्रिय समाजसेवी एवं युवाओं में बहुत लोकप्रिय थे। उन्होंने धर्म, समाज, संस्कृति एवं मानवसेवा के कार्य करते हुए समाज में सदैव उच्च आदर्शों को स्थापित किया एवं कई नये प्रतिमान स्थापित किये। प्रदीपजी, दिगम्बर जैन महासमिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे, एवं दिगम्बर जैन सोशल ग्रुप फेडरेशन के भी अध्यक्ष रहे । उन्हीं के प्रयासों का नतीजा है कि आज देश-विदेश में दिगम्बर सोशल जैन ग्रुप की 350 से भी ज्यादा शाखाएं स्थापित हुई हैं ।

प्रदीप जी और दिगम्बर जैन सोशल ग्रुप दोनों हैं पर्याय

दिगम्बर जैन सोशल ग्रुप फेडरेशन आज समाज के प्रति समर्पित दिगम्बर जैन युवा दम्पति सदस्यों की एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था के रूप में सक्रिय एवं स्थापित संस्था है। जिसके द्वारा जैनत्व के संस्कारों की रक्षा, धर्म की प्रभावना में सहभागिता एवं संस्कृति, जीवदया, संतसेवा, मानव सेवा, चिकित्सा एवं शिक्षा में सहयोग, खेल, मनोरंजन, युवक युवती परिचय सम्मेलन के आयोजन किये जाते हैं । पर्यटन एवं दिगम्बर जैन तीर्थों की यात्रा के माध्यम से तीर्थों के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया जाता है।
जैन समाज में हमेशा राष्ट्रीय भूमिका निभाने वाले जैन रत्न श्री प्रदीप कुमार सिंह कासलीवाल अपनी संगठन क्षमता और कार्यकुशलता से समाज को सदैव प्रदीप्त करते रहते थे। दिगम्बर जैन समाज के एक राष्ट्रीय नेता के रूप में उनका देश की दिगम्बर जैन समाज के शीर्ष नेताओं में अग्रणी स्थान था।
प्रदीप जी, देश के कई धार्मिक ट्रस्ट एवं तीर्थ क्षेत्रों के सक्रिय ट्रस्टी एवं संरक्षक भी रहे। दिगम्बर जैन आदिनाथ आध्यात्मिक अहिंसा फाउण्डेशन अष्टापद (बद्रीनाथ ) तीर्थ के अध्यक्ष रहते हुए आपने वहाँ स्थापित अष्टापद तीर्थ के विकास एवं उसे यात्रियों के लिए सर्वसुविधायुक्त बनाने के लिए देव दर्शन एवं पूजन की सुविधा के साथ-साथ यात्री निवास, भोजनशाला आदि की व्यवस्था सुनिश्चित की और तीर्थ के पूर्व अध्यक्ष अपने पिता स्व.श्री देवकुमारसिंहजी कासलीवाल के स्वप्न संकल्प को साकार किया। इसी तरह सिद्धक्षेत्र तीर्थ के अध्यक्ष रहते हुए वहाँ नवनिर्माण एवं सुधारकार्य संपन्न करवा कर तीर्थ क्षेत्र को सुव्यवस्थित सर्वसुविधायुक्त एवं सुदर्शनीय बनाने में प्रदीपजी का अप्रतिम अवदान रहा है। उनके इस योगदान को देश की दिगम्बर जैन समाज कभी भूला नहीं पाएगी।

जैन शिरोमणि एवं वरिष्ठ समाजसेवी स्व. श्री देवकुमारसिंहजी कासलीवाल के पुत्र श्री प्रदीपजी कासलीवाल दिगम्बर जैन समाज के सर्वप्रिय समाजसेवी एवं युवाओं में बहुत लोकप्रिय थे। उन्होंने धर्म, समाज, संस्कृति एवं मानवसेवा के कार्य करते हुए समाज में सदैव उच्च आदर्शों को स्थापित किया एवं कई नये प्रतिमान स्थापित किये।


जैन पुरा संपत्तियों को संवारने में भी रहा योगदान

प्रदीप जी, देश के कई धार्मिक ट्रस्ट एवं तीर्थ क्षेत्रों के सक्रिय ट्रस्टी एवं संरक्षक भी रहे। दिगम्बर जैन आदिनाथ आध्यात्मिक अहिंसा फाउण्डेशन अष्टापद (बद्रीनाथ ) तीर्थ के अध्यक्ष रहते हुए आपने वहाँ स्थापित अष्टापद तीर्थ के विकास एवं उसे यात्रियों के लिए सर्वसुविधायुक्त बनाने के लिए देव दर्शन एवं पूजन की सुविधा के साथ-साथ यात्री निवास, भोजनशाला आदि की व्यवस्था सुनिश्चित की और तीर्थ के पूर्व अध्यक्ष अपने पिता स्व.श्री देवकुमारसिंहजी कासलीवाल के स्वप्न संकल्प को साकार किया। इसी तरह सिद्धक्षेत्र तीर्थ के अध्यक्ष रहते हुए वहाँ नवनिर्माण एवं सुधारकार्य संपन्न करवा कर तीर्थ क्षेत्र को सुव्यवस्थित सर्वसुविधायुक्त एवं सुदर्शनीय बनाने में प्रदीपजी का अप्रतिम अवदान रहा है। उनके इस योगदान को देश की दिगम्बर जैन समाज कभी भूला नहीं पाएगी। पुरातन कालीन जैन सम्पदा एवं जैन संस्कृति के संरक्षण में भी सदैव प्रदीपजी की अभिरुचि रही। वर्ष 2008 में जब आप दिगम्बर जैन मालवा प्रांतिक सभा बड़नगर के अध्यक्ष बने तो सर्वप्रथम आपने प्रांतिक सभा द्वारा सन् 1944 में जयसिंहपुरा उज्जैन में स्थापित एवं संचालित किए जा रहे जैन मूर्ति संग्रहालय के विकास एवं उसे आधुनिक संग्रहालय विज्ञान के सिद्धांतों के अनुरूप नवीनीकरण की योजना तैयार कराई और विभाग, शासन, प्रशासन एवं प्रांतिक सभा व समाज के सहयोग और प्रयासों से संग्रहालय का नवीनीकरण कार्य संपन्न कराया, जिसका लोकार्पण समारोह वर्ष 2015 में संपन्न हुआ। संग्रहालय आज देश के सर्वश्रेष्ठ संग्रहालयों में सम्मिलित है। संग्रहालय का व्यवस्थित एवं सुदर्शनीय स्वरूप देखते ही बनता है और यह सब प्रदीपजी की लगन एवं समर्पण से ही संभव हो सका, जिसके लिए देश का जैन जगत सदैव उनका ऋणी रहेगा। आप दिगम्बर जैन समाज (संसद) इन्दौर के भी दो बार अध्यक्ष निर्वाचित हुए और समाज हित के कई कार्य किये। जैन समाज को अल्पसंख्यक का दर्जा दिलाने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।

अपने पिता की विरासत के सारथी बन चले प्रदीप जी

आप स्व. श्री देवकुमारसिंहजी कासलीवाल के निधन के बाद महावीर ट्रस्ट के भी अध्यक्ष बने और ट्रस्ट के अंतर्गत इन्दौर में लड़कियों के लिए गर्ल्स होस्टल का निर्माण किया। आपने ट्रस्ट के अंतर्गत कुछ नए प्रकल्पों की भी शुरुआत की थी। प्रदीपजी, दिगम्बर जैन महासमिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे, एवं दिगम्बर जैन सोशल ग्रुप फेडरेशन के भी अध्यक्ष रहे । उन्हीं के प्रयासों का नतीजा है कि आज देश-विदेश में दिगम्बर सोशल जैन ग्रुप की 350 से भी ज्यादा शाखाएं स्थापित हुई हैं। दिगम्बर जैन सोशल ग्रुप फेडरेशन आज समाज के प्रति समर्पित दिगम्बर जैन युवा दम्पति सदस्यों की एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था के रूप में सक्रिय एवं स्थापित संस्था है। जिसके द्वारा जैनत्व के संस्कारों की रक्षा, धर्म की प्रभावना में सहभागिता एवं संस्कृति, जीवदया, संतसेवा, मानव सेवा, चिकित्सा एवं शिक्षा में सहयोग, खेल, मनोरंजन, युवक युवती परिचय सम्मेलन के आयोजन किये जाते हैं । पर्यटन एवं दिगम्बर जैन तीर्थों की यात्रा के माध्यम से तीर्थों के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया जाता है।

सरल,सहज और निरअभिमानी व्यक्तित्व के धनी थे प्रदीप

वैभवशाली परिवार का सदस्य होने के बावजूद भी प्रदीप जी से जो मिलता, वो हमेशा के लिए उनका होकर रहता । अभिमान और सादगी से परिपूर्ण व्यक्तित्व ऐसा जो सबको अपना बना ले । अपनों से हंसना,बोलना और परायों में अपनापन के बीज बोते जाना,ये उनके व्यक्तित्व की विशेषता थी। अपनी बात दृढ़ता के साथ रखने का भी उनमें अदम्य साहस था। वे समाज को जोड़ने, सब को साथ लेकर चलने में विश्वास रखते थे और उनका भरोसा समाज में शांति सद्भाव एवं समन्वय में था। जब भी समाज, संस्था एवं ट्रस्टों के विवाद उनके पास आते थे, तो वे समन्वय एवं शांति से निपटा देते थे। मक्सी पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर का उदाहरण हमारे सामने है। वहाँ वर्षों से श्वेताम्बर एवं दिगम्बर जैन समाज के अधिकारों को लेकर विवाद चल रहे थे जिसे आपने अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में दोनों पक्षों से परस्पर चर्चा कर विवाद को विधिसम्मत एवं समन्वय सद्भाव की नीति से रूप से सुलझा दिया। साधन सुखों की कोई कमी न थी लेकिन प्रदीप जी के मन का आनंद तो कहीं और था । समाज के उन्नयन में सांस्कृतिक सामाजिक कार्यों सन् 1992 से बावनगजा महामस्तकाभिषेक महोत्सव में “जैन स्वयं सेवक मण्डल का नेतृत्व करके अपनी सामाजिक एवं धार्मिक सेवाओं की शुरुआत की। वे अध्यक्ष अथवा सदस्य / न्यासी / पदाधिकारी के रूप में विभिन्न राष्ट्रीय संस्थाओं / न्यासों का प्रतिनिधित्व करते रहे। जो इस प्रकार है –

अध्यक्ष: 1. श्री दिगम्बर जैन सोशल ग्रुप फेडरेशन इन्दौर, 2. श्री महावीर ट्रस्ट इन्दौर म.प्र., 3. श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र मक्सी पार्श्वनाथ शाजापुर, 4. श्री दिग. जैन मालवा प्रांतिक सभा बड़नगर (उज्जैन), 5. श्री दिग जैन सिद्धक्षेत्र सिद्धवरकूट निमाड़, 6. श्री आदिनाथ आध्यात्मिक अहिंसा फाउण्डेशन अष्टापद (बद्रीनाथ) उत्तराखण्ड, 7. श्री महावीर बाल संस्कार केन्द्र इन्दौर ।

न्यासी 1. श्री रा. ब. ओंकारजी कस्तूरचंदजी धार्मिक एवं पारमार्थिक संस्थाएँ, इन्दौर,2. श्री गोम्मटेश्वर जन कल्याण ट्रस्ट, श्रवणबेलगोला, 3. श्री दिग. जैन उदासीन आश्रम ट्रस्ट इन्दौर, 4. श्री कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ इन्दौर, 5. श्री अंतिम केवली श्री 1008 जम्बूस्वामी दिग. जैन ट्रस्ट मथुरा, 6. श्री बंडीलालजी दिग. जैन कारखाना श्री गिरनार जूनागढ़, 7. श्री देवकुमारसिंह कासलीवाल धार्मिक एवं पारमार्थिक न्यास इन्दौर, 8. श्री शाश्वत तीर्थक्षेत्र श्री सम्मेदशिखर ट्रस्ट मधुबन बिहार, 9. श्री सिद्धक्षेत्र चूलगिरि बावनगजा ट्रस्ट बड़वानी। पूर्व अध्यक्ष :- श्री दिगम्बर जैन महासमिति दिल्ली, श्री दिगम्बर जैन महासमिति ट्रस्ट दिल्ली, भूतपूर्व छात्र संगठन इंजीनियरिंग कॉलेज, लायन्स क्लब इन्दौर ग्रेटर इन तमाम जिम्मेदारियों को निभाते हुए प्रदीप जी ने जैन धर्म के कर्मवाद को एक नया नाम दे गए। ये नाम खुद उनका अपना है वो है प्रदीप सिंह कासलीवाल…जो दुनिया में अथाह, अनवरत और अनुसरण करने लायक काम कर अपने और करोड़ों जैन समाज के लोगों के जीवन को अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से सार्थक कर गए।

प्रदीप जी कासलीवाल जी का जीवन चरित

अपने संपूर्ण जीवनकाल में दिगम्बर समाज की राष्ट्रीय पहचान बनें प्रदीप कुमार सिंह जी कासलीवाल का जन्म 13 जनवरी 1948 को इंदौर के प्रसिद्ध अनोप भवन में हुआ था। पिता श्री देवकुमारसिंहजी कासलीवाल तथा माता श्रीमती कुसुमकुमारीजी कासलीवाल के घर जन्में, प्रदीप जी ने सिंधिया स्कूल ग्वालियर में स्कूल शिक्षा और प्रदेश के नामचीन गोविन्दराम सेक्सरिया विज्ञान एवं अभियांत्रिकी स्वशासी महाविद्यालय इन्दौर से सिविल इंजीनियरिंग की। हैदराबाद की पुष्पाजी कासलीवाल ने जीवन संगिनी के रूप में घर-आँगन महकाया और दो पुत्र रत्नों आदित्य और अमित कासलीवाल ने जीवन के आनंद में वृद्धि की। पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण व्यवसायी व व्यापारिक अनेक उद्योगों व संस्थानों को संभाला। कुछ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, कुछ की नींव रखी और सफल संचालन किया। इनमें प्रमुख हैं रा.ब. ओंकारजी कस्तूरचंद ट्रस्ट, रा. ब. ओंकारजी कस्तूरचंद प्रॉपर्टीज प्रा.लि., मैसर्स धार सीमेण्ट लि. इन्दौर, मेसर्स कासलीवाल ट्रेकिंग प्रा.लि., मैसर्स कासलीवाल ह्युण्डई प्रा. लि. इन्दौर, मैसर्स कासलीवाल ऑटोमोबाइल प्रा.लि. इन्दौर, राजश्री सिनेमा प्रा. लि., कस्तूर, अनोप, स्मृति, आस्था एवं कुसुम सिनेमागृह इन्दौर, ओ. के. कृषि फार्म्स इन्दौर, ग्रीन गोल्ड नर्सरी इन्दौर ।

 

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