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यंग जैन स्टडी ग्रुप, पं.प्रकाश छाबड़ा ने लगाया 1 से 9 मई तक जैन बाल युवा संस्कार शिक्षण शिविर आधुनिक शिक्षण तकनीक से 1500 बच्चों ने सीखे जैनत्व के संस्कार


माइक्रोसाफ्ट अमेरिका से अपना विशेष पैकेज छोड़कर आए पं. प्रकाश छाबड़ा द्वारा गठित यंग जैन स्टडी ग्रुप के आधुनिकतम प्रयास जैन समाज में अपनी उत्कृष्ट पहचान बनाकर संस्कारों का शंखनाद कर रहे हैं श्रावक रत्न विमलचंद छाबड़ा के मार्गदर्शन में 1 से 9 मई 2024 तक जैन बाल एवं युवा संस्कार शिक्षण शिविर सन्मति स्कूल, संयोगिता गंज, इन्दौर में संपन्न हुआ। जिसमें रजिस्टर्ड 2000 बच्चों में से 1500 से अधिक बच्चों ने 8 दिनों तक जैनत्व के संस्कारों का शंखनाद किया, जो अत्यंत ही अनूठा व अद्भुत था। पढ़िए वीरेन्द्र जैन ‘वीरु’ और राजेन्द्र जैन ‘महावीर’ की विशेष रिपोर्ट…


इन्दौर। माइक्रोसाफ्ट अमेरिका से अपना विशेष पैकेज छोड़कर आए पं. प्रकाश छाबड़ा द्वारा गठित यंग जैन स्टडी ग्रुप के आधुनिकतम प्रयास जैन समाज में अपनी उत्कृष्ट पहचान बनाकर संस्कारों का शंखनाद कर रहे हैं श्रावक रत्न विमलचंद छाबड़ा के मार्गदर्शन में 1 से 9 मई 2024 तक जैन बाल एवं युवा संस्कार शिक्षण शिविर सन्मति स्कूल, संयोगिता गंज, इन्दौर में संपन्न हुआ। जिसमें रजिस्टर्ड 2000 बच्चों में से 1500 से अधिक बच्चों ने 8 दिनों तक जैनत्व के संस्कारों का शंखनाद किया, जो अत्यंत ही अनूठा व अद्भुत था। सबसे अलग, सभी संस्था से हटकर, केवल और केवल बच्चों व युवाओं ने स्वयं की प्रेरणा से 2000 से अधिक ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराये और लगभग 1500 बच्चों ने शिविर में सहभागिता कर लेवल वन से लेवल सेवन में विभाजित जैनागम में वर्णित णमोकार मंत्र, पंच परमेष्ठी का स्वरुप, भगवान-तीर्थंकर, छह द्रव्य, सात तत्व, आठ कर्म, दशधर्म, चार गति, जीव-अजीव पहचान, भक्ष्य – अभक्ष्य, तीन लोक, विश्व का स्वरूप, पाप से कैसे बचें, रात्रि भोजन, छने पानी की समझ, सेव्य – अनुसेव्य जैसे गंभीर विषयों को विषय विशेषज्ञ युवा विद्वानों ने यू-ट्युब लाइव के माध्यम से समझने में सफलता प्राप्त की।

1500 बच्चों की सामूहिक पूजन देखकर हरकोई दंग रह गया

ग्रुप की टीम प्रातः 5 बजे से मैदान सम्हाल कर व्यवस्थाओं में जुट जाती है और स्कूल की 40 बसें प्रातः 5.30 से बच्चों को लेकर ठीक 6.45 तक शिविर स्थल पहुंच जाती है। ठीक 6.50 पर जिनेन्द्र अभिषेक फिर अनुशासित होकर अष्टद्रव्य से पूजन श्री विमलचंदजी छाबड़ा के मार्गदर्शन व सुमधुर कंठ की धनी जयश्री टोंग्या की मधुर आवाज में प्रारंभ होता है और 1500 बच्चे अपनी थाली लेकर चार-चार के ग्रुपों में अष्टद्रव्य से पूजा करते तो ऐसा लगता कि यह कोई पंचकल्याणक का नजारा है जहां छोटे-छोटे बच्चों में पूजन के संस्कार दिये जा रहे है। अक्षत क्या है, पुष्प क्या है, पूजन का क्या अर्थ है, श्रावक के लिए पूजन क्यों जरुरी है, ये बातें शिविर प्रमुख पं. प्रकाश छाबड़ा कार्डलेश माइक से समझाते जाते हैं।

आधुनिक डिजीटल क्लास रूम, पीपीटी से अध्यापन

एक घण्टे की पूजन के बाद सारे बच्चे स्वल्पाहार ग्रहण करते हैं व साइरन बजते ही सारे बच्चे उत्साह के साथ अपने-अपने क्लास रुम में पहुंचते हैं, जहां उनके शिक्षक अपने क्लास कॉर्डिनेटर के साथ उनके इंतजार में पहले से ही तैयार रहते और 8.30 से 9.30 तक का पहला पीरियड संपन्न होता है। इसके उपरांत 15 मिनिट का ब्रेक फिर 9.45 से 10.50 बजे तक दूसरा पीरियड लगता, वहां से साइरन बजते ही छुट्टी के साथ सभी 1500 बच्चे अनुशासित ढंग से शीतल पेय ग्रहण अपनी-अपनी बसों में पहुंच जाते हैं और बस के प्रभारी उनकी गिनती कर बस अपने गंतव्य के लिए रवाना कर देते हैं। लगभग 12 बजे तक सारे बच्चे अपने घर पहुंच जाते हैं। यह 8 दिनी शिविर एक अनूठा अनुभव रहा होगा, क्योंकि हमने सभी कक्षाओं में प्रत्यक्ष रुप से भ्रमण कर पाया कि प्रत्येक कक्ष में बच्चे धैर्यता से सुन रहे हैं, नोट कर रहे हैं, प्रश्न पूछ रहे हैं, अपने समाधान प्राप्त कर रहे हैं, ऐसा लग रहा था कि ये बच्चे जबरदस्ती से नहीं जबरदस्त तरीके से धर्म के संस्कारों को आत्मसात कर रहे हैं। समापन दिवस 9 मई को अपने प्रत्येक लेवल के बच्चों को प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार प्रदान किए गए। सभी को सामूहिक भोज एवं प्रतिदिन अध्ययन-अध्यापन व अगले वर्ष पुनः शिविर में आने के संकल्प के साथ समापन हुआ।

आगामी 5 वर्षों के शिविरों की तारिखों की घोषणा की गई

सफलता के अनेक कीर्तिमानों को रचते हुए विगत कई वर्षों से जारी बाल एवं युवा संस्कार शिविर के 2025 से 2029 वर्ष तक के शिविरों की घोषणा करते हुए पं. प्रकाश छाबड़ा ने बताया कि आगामी 5 मई से 12 मई 2025, 04 मई से 11 मई 2026, 3 मई से 10 मई 2027, 1 मई से 9 मई 2028, 1 मई से 9 मई 2029 तक शिविर आयोजित किए जाएंगे । प्रतिवर्ष शिविर में सम्मिलित होने के रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि 20 अप्रैल रहेगी।

आगमन से प्रस्थान तक की सूचना मोबाइल पर

शिविर का रिकार्ड प्रतिवर्ष डिजिटलाइजेशन से सुरक्षित रखा जाता है, जिस शिविरार्थी ने जो परीक्षा उत्तीर्ण की है, उसे अगले लेवल पर प्रवेश दिया जाता है। बच्चों के पालकों को बस उनके मोहल्ले में पहुंचने की सूचना, बच्चों के शिविर स्थल से रवाना होने की सूचना सीधे उनके मोबाइल पर दे दी जाती है । जिससे बच्चों के माता-पिता बच्चों को बस पर छोड़ने और लेने ठीक समय पर पहुंच जाते है। इस डिजिटलाइजेशन का उपयोग समय प्रबंधन में बहुत उपयोगी होता है। इतने सारे बच्चों को एक साथ सूचना करना यह डिजिटल टेक्निक से ही संभव है, प्रत्येक बच्चे का डिजिटल डाटा उपलब्ध होने के साथ उसे ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के उपरांत ही प्रवेशित किया जाता हैछछ अध्यापन कराने वाले समस्त शिक्षक, युवा व आधुनिक टेक्नॉलाजी से अपडेट हैं, जो समाज के लिए उल्लेखनीय है। डिजिटल तकनीक का उपयोग इस शिविर को सफल बनाने मे व लंबे समय तक सुरक्षित रखने में सहभागी रहा है।

प्रमुख लोगों ने प्रतिदिन किया अवलोकन और कहा कि अद्भुत नजारा है यहां

विगत आठ वर्षों से संचालित यह शिविर इन्दौर के लिए वरदान है, समाज के प्रमुखजन यहां आकर अवलोकन कर कहते हैं कि यह तो गजब हो रहा है, बच्चों का उत्साह गजब है। जैन दर्शन के सर्वमान्य आचरणशील विद्वान पं. रतनलालजी शास्त्री ने शिविर को लेकर हर्ष मिश्रित गौरवपूर्ण अनुभव किया व सभी क्लासों में जाकर बच्चों का उत्साह वर्धन भी किया । सांसद शंकर लालवानी, राजकुमार पाटोदी, एम.के. जैन, कैलाश वेद, नरेन्द्र वेद, प्रदीप बड़जात्या, मनीष अजमेरा, मनीष-सपना गोधा ( सुमति धाम), राजेन्द्र जैन महावीर, मुकेश टोंग्या, पवन बागडिया, संजय कासलीवाल, अशोक जैन ( अरिहंत कैपिटल), विजित रामावत, नेवी रामावत ( इंद्रा सिक्युरिटीज), संजय जैन बडनगर, प्रकाश भटेवरा, जिनेश्वर जैन, दीपक जैन टीनू, सुनील शाह, मनोज गोधा, नेमचंद लोहारिया, हर्ष-तृप्ति जैन, मनोज-अनामिका बाकलीवाल, राहुल जैन (स्पोर्ट्स), सचिन जैन (उद्योगपति), ज्ञानेश जैन, सुनिल जैन (सीए), राजकुमारजी शाह, देवेन्द्र सेठी, इन्दर सेठी सहित अनेक समाजजन वहां अपनी उपस्थिति से स्वयं को गौरवान्वित करते रहे । यंग जैन स्टडी ग्रुप के अजय – मिंटा जैन, अखिलेश- रिंकल जैन, प्रितेश जैन, अजय जैन (पेप्कस), अरिहंत जैन, निलेश पाटोदी, प्रमोद पहाडिया, महेश जैन, रितेश अजमेरा, सौरभ वैसाखिया, मुकेश जैन, राकेश जैन, राजकुमार बड़जात्या, अनिता वैद्य, अक्षय-रुपाली अजमेरा आदि का विशेष सहयोग रहा। यह शिविर बहुत उपयोगी रहा, क्योंकि इसमें जैनत्व के संस्कार बच्चों को आधुनिक डिजीटलाइजेशन के माध्यम से प्रदान किये हैं। सारी बातें यू-ट्यूब पर व उनका मटेरियल ऑनलाइन उपलब्ध है जो कभी भी कहीं भी देखा जा सकता है।

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