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धर्मसभा में दिए प्रवचन : सही धार्मिक क्रिया वही है, जिसके पीछे आत्म कल्याण और विज्ञान छुपा है- आचार्य श्री निर्भय सागर


तपोवन तीर्थ में अक्षय तृतीया को विशेष आयोजन होगा। इसमें आचार्य संघ की आहार चर्या, प्रवचन, और भगवान आदिनाथ के जीवन पर विशेष चर्चा होगी। आचार्य श्री ने प्रात:कालीन सभा में कहा कि जैसे आप अपने मोबाइल रिचार्ज करते हैं, वैसे दान देकर अपनी आत्मा को पुण्य से रिचार्ज करना चाहिए। पढ़िए राजीव सिंघई मोनू की विशेष रिपोर्ट…


सागर। वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज तपोवन तीर्थ सागर में एक माह से ससंघ सहित विराजमान हैं। तपोवन में ही अक्षय तृतीया को प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ ने मुनि अवस्था में एक वर्ष तक निर्जल उपवास की कठोर तपस्या करने के उपरांत प्रथम आहार लिया था। आहार देने का सौभाग्य राजा श्रेयांस को प्राप्त हुआ था। इसलिए तपोवन तीर्थ में अक्षय तृतीया को विशेष आयोजन होगा। इसमें आचार्य संघ की आहार चर्या, प्रवचन, और भगवान आदिनाथ के जीवन पर विशेष चर्चा होगी। आचार्य श्री ने प्रात:कालीन सभा में कहा कि जैसे आप अपने मोबाइल रिचार्ज करते हैं, वैसे दान देकर अपनी आत्मा को पुण्य से रिचार्ज करना चाहिए।

जैसी बैटरी डिस्चार्ज हो जाने पर करंट से चार्ज करते हैं, वैसे ही गुरु के उपदेश सुनकर अपने जीवन को चार्ज करना चाहिए। धर्म एक ऐसी शक्ति है जो अपने अंदर छुपी सहनशीलता रूपी क्षमता अर्थात शक्ति को उद्घाटित करती है। जब आपकी शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक और राजनीतिक शक्ति क्षीण हो जाती है तो कोई कद्र नहीं करता और हर कोई दबाने की कोशिश करता है अतः इस लोकतांत्रिक देश में अपनी शक्ति क्षीण नहीं होने देना चाहिए। सही धार्मिक क्रिया वही है, जिसके पीछे आत्म कल्याण और विज्ञान छुपा है। देखा देखी अज्ञानता और हट ग्राहित्ता के साथ की गई धार्मिक क्रिया से कल्याण नहीं होता है। धर्म मानकर हिंसा करना अज्ञानता और मूढ़ता की परिचायक है। अहिंसा सुख शांति की दायक और परमात्मा की परिचायक है। अहिंसा प्रकृति है और हिंसा विकृति है। हिंसा और अहिंसा दोनों युगपत थी है और रहेगी। इसलिए अहिंसा को धारण करके परमात्मा बनने की साधना करना चाहिए।

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