जिस धन को कमाने में मन तथा शरीर का क्लेश हो, धर्म का उलंघन करना पड़े, सिर शत्रु के सामने झुकाना पड़ जाए, ऐसे धन का विचार त्यागना ही बेहतर है।
चैतन्य नीति
घर, गाड़ी, संतान, धन, संतान और आय आदि के मामले में हमेशा खुश रहना चाहिए लेकिन ज्ञान के मामले में कभी भी संतुष्ट नहीं होना चाहिए।
अच्छे आचरण से दुखों से मुक्ति मिलती है, विवेक से अज्ञानता खत्म की जा सकती है और जानकारी से भय को दूर किया जा सकता है।
बुरे समय में भी धैर्य और आत्मविश्वास नहीं खोना चाहिए। दोनों गुण होने से मनुष्य विषम परिस्थितियों से निकलने में भी सक्षम रहता है।
फूलों की सुगंध केवल उसी दिशा में महकती है, जिस दिशा में हवा चल रही होती है। जबकि इंसान के अच्छे गुणों की महक चारों दिशाओं में स्वतः ही फैल जाती है।